Friday 8 November 2013

चाँद

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सचमुच / ये ,
तय कर लिया ,                                       इसे कहते हैं ' आलस्य'!
है / मैंने !
पूछूंगी / ज़ुरुर ,
मिलने आएगा ,                                   कॉपी पेस्ट के लिये क्षमाप्रार्थी  
जब वो आज !!
कहाँ जाता है वो ?
आख़िर क्या है ,
हर अमावस ,
उसके / यूँ
*
*
गायब होने का राज़ !!!
----------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति 


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6 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत
    प्रतिभा जी
    आपने कमेन्ट के जरिये एक प्रश्न पूछा था , उसका जवाब मैंने मेल कर दिया है कृपया अपना मेल इन्बाक्स चेक कर ले , धन्यवाद

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  2. अमावस के दिन
    चांदनी के साथ
    किसी सिनेमा हाल
    में फिल्म देखने
    केलिये जाता है
    बस इतना ही
    पता है क्योंकि
    जगह का नाम
    नहीं बताता है !

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  3. ये ही तो चालाकी है उसकी ... जब आएगा तो सम्मोहित कर लेगा ... पूछना भूल जाते हैं सब उससे ...

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  4. ji r / yahi ho raha h / yugo se

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