Saturday 27 July 2013

मन












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मन / अचानक
एक तपस्वी की तरह
भीड़ से परे !
दूर / उस
क्षितिज की तरफ ,
बढ़ता ही गया !
उस ,
उत्तुंग शिखर की ,
ऊँची शिखा !
अब / उसे ,
लौटने नहीं देती !
वह / नितांत / अकेला
' समाधिस्थ '
------------------------------------------------------डॉ . प्रतिभा स्वाति
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